कठिन नहीं होता
चुप-सी चीख
पी जाना
पत्थर-सा
दर्द सह जाना
सच कहता हूं
कभी नहीं खलता
रक्त के बहाने
हृदय का बह जाना
तकलीफ
तब होती है
जब
कोई आंख मूंद
होंठ सी-कर
हंसता है
किसी की
पीड़ा पर
पीसता है नमक
गहरे घाव पर
थोड़े-भर
स्वाद के लिए
और,
नमकीन मिजाज के लिए।।
4 comments:
वाह जी वाह बहुत खूब बेहतरीन रचना लिखी है मजा आ गया पढ़कर
its nice & uniq
बहुत बढ़िया दोस्त.... क्या बात है...
... क्या बात है...
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