तदात्मानं सृजाम्यहम्
Friday, January 29, 2010
प्रिये!
मुस्कुरा सकेगा समय
बिहंस पाएगी नलिनी
पंकजाल को तोड़
नीलनभ
इतराएगी
कमलिनी
वास मधुर
मधुमास
हृदय में
फिर नूतन-सी प्यास
प्रिये!
भर लाया हूं
तुम भी-
आओ पास
तुम्हारे पास
आज मैं
फिर आया हूं।।
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