Friday, August 20, 2010

मस्ती

हर कोई गरिया रहा
पानी पी-पी रोज।
पर महंगाई, न घटे
पिए खून की डोज।
पिए खून की डोज
ललाई खूब चढ़ी है।
जनता का खाली पेट
दिल्ली मस्त पड़ी है।


पीपली डाइंग

पीली पोली पीपली
मत कर इतना शोर।
डायन बड़ी खराब है
महंगाई बरजोर।
सत्ता ससुरी आसुरी
भरे चोर ही चोर।
खाई है, खा जाएगी
तुझे एकभर कौर।

सीधी चोट

महंगाई-भ्रष्टाचार-घोटाले
एक नहीं सौ-सौ होंगे।
कामनवेल्थ के गलियारे में
लुटनेवाले जौ-जौ होंगे।
अभी महज ये खेल बिका है
देश का बिकना बाकी है।
कलमाड़ी-से नमकहराम
जाने कितने-ठौ होंगे।।