Sunday, February 14, 2010

तुक-तुक-3

उनका होना
मेरा होना
उनके होने-
में सब होना
जीवन था
कुछ और 
न होना
अहक हृदय की
मन का कोना
पोर-पोर का
फटकर रोना
अब लगता है
उन बिन होना
न कुछ होना
कुछ न होना।।

Saturday, February 13, 2010

तुक-तुक-2


साकी शराब देना
चम्मच में डालकर।
पीयेंगे, कुछ ले जायेंगे
घर भी संभालकर।।

Tuesday, February 9, 2010

तुक-तुक-1

हर शै को बख्श दे
इक आग जिगर में
ऊबे जो जिंदगी से
पी लिया करे।
कुछ जी लिया करे।।

Tuesday, February 2, 2010

स्वप्न और जिंदगी


आंख खुली होती है
स्वप्न सोया होता है
आंख बंद होती है
स्वप्न देह धरता है..
यदि जिंदगी
आंख खोलना
और
बंद करना भर है..
तो झूठ है..
कौन है-
जो स्वप्नों से
परे जीता है
और जिंदगी के
सत्य तक जागता है।।