तदात्मानं सृजाम्यहम्
Sunday, February 14, 2010
तुक-तुक-3
उनका होना
मेरा होना
उनके होने-
में सब होना
जीवन था
कुछ और
न होना
अहक हृदय की
मन का कोना
पोर-पोर का
फटकर रोना
अब लगता है
उन बिन होना
न कुछ होना
कुछ न होना।।
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