तदात्मानं सृजाम्यहम्
Friday, January 29, 2010
क्षणिका-8
अनथक हंसता रहा
मैं
उन्हें हंसाने को
उनके स्याह चेहरे पर
रौनक नहीं आई
कौन कहता है
चाहने भर से
हादसे
बिसर जाते हैं।।
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