Monday, January 18, 2010

क्षणिका-1


प्रथम प्रेम के छींटे हैं-
दाग अभी गहरा होगा।
सारे चेहरे दर्पण होंगे-
जिनमें उनका चेहरा होगा।
पाती लिखते हाथ कंपेंगे
शब्द-शब्द पहरा होगा।
बह जाएगा मन भावों में
उद्गम निष्ठुर ठहरा होगा।
हदयरक्त जल जाने दो
कुछ क्षण और तड़पने दो।
भस्मशेष रह जाएगी
तो ही स्वर्ण सुनहरा होगा।।

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