Wednesday, March 10, 2010

साहस

कुछ न कुछ तो कहना होगा।
मुक्तकंठ से गाना होगा
या चुप रहकर सहना होगा।।

4 comments:

सम्वेदना के स्वर said...

सीप के अंदर छिपी अनमोल मुक्ता राशि की तरह है आपकी रचनायें....अद्भुत है भावनाएँ आपकी …एकदम अनूठे एवं नवीन विचार...इस सरिता को अविरल बहने दें..

पूनम श्रीवास्तव said...

bahut hi bhav pravan rachana.
poonam

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

इस पेज की सारी रचनाएँ पढ़ीं...बहुत अच्छी लगीं....विशेष हया .....क्षणिकाएं बहुत कुछ कहती हैं.....

ये word verification हटा दें....टिप्पणी देने में सरलता होगी..

kavi surendra dube said...

जो जी चाहे कहो वह ,गाओ उम्र तमाम .
सहस के स्वाभाव में ,सहने का क्या काम ..