Wednesday, September 14, 2011

क्षणिका

रात को दिन दिनों को रात करें।​
सही-गलत सही, कुछ तो बात करें।​।​
​​कोई कहे-न कहे पर छुपी रहेगी नहीं
​चोट खाए हुए कह देंगे जज्बात हरे।​
अकल जो होती तो आ जाती ​समझ ​​
​आग दामन में लिए कौन मुलाकात करे।।
​​आंख पुरनम, जुबां पे ​खामोशी ​
टूटे हुए हमदम कहां फरियाद करें।
​न कोई उज्र न शिकायत अब है
​चल ऐ दिल, इश्क की शुरुआत करें।।​