Friday, August 20, 2010

मस्ती

हर कोई गरिया रहा
पानी पी-पी रोज।
पर महंगाई, न घटे
पिए खून की डोज।
पिए खून की डोज
ललाई खूब चढ़ी है।
जनता का खाली पेट
दिल्ली मस्त पड़ी है।


3 comments:

दीपक बाबा said...

दिल्ली कहाँ मस्त है.
क्या मंत्री
क्या संत्री
क्या विधयक
क्या पार्षद
क्या व्यापारी
क्या कबाड़ी

....
सभी तस्त है
बही आज २० हो गई.........
१० दिन बात EMI का चेक लगना है

मृत्युंजय त्रिपाठी said...

सुंदर रचना। अच्‍छा लिखते हैं, कृपया नियमित रूप से बने रहें।

शुभकामनाएं

मृत्‍युंजय कुमार त्रिपाठी

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब, लाजबाब !