रात को दिन दिनों को रात करें।
सही-गलत सही, कुछ तो बात करें।।
कोई कहे-न कहे पर छुपी रहेगी नहीं
चोट खाए हुए कह देंगे जज्बात हरे।
अकल जो होती तो आ जाती समझ
आग दामन में लिए कौन मुलाकात करे।।
आंख पुरनम, जुबां पे खामोशी
टूटे हुए हमदम कहां फरियाद करें।
न कोई उज्र न शिकायत अब है
चल ऐ दिल, इश्क की शुरुआत करें।।